एक उमस भरी अरबी माँ, अपने प्रेमी के विचारों से उत्तेजित होकर, आत्म-आनंद में लिप्त होने के लिए अपने हिजाब का अनावरण करती है। उसकी अनुभवी उंगलियां परमानंद की लहरें लाती हैं, जिसका समापन एक उग्र चरमोत्कर्ष में होता है। यह अरब की कामुकता की एक कच्ची, अंतरंग यात्रा है।.